Wednesday, February 12, 2025

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पं छन्नूलाल मिश्र

होली प्रेम की वह रसधारा है, जिसमें समाज भीगता है।

बसंत दुष्ट है।उसके चाल चलन अच्छे नहीं है।बसंत काम और रति का पुत्र है, सखा भी।यह सभी वर्जनाएं तोड़ने को आतुर रहता है। इस...

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